हरिद्वार/कोटद्वार: रंग-बिरंगे कागज से बिना कैंची और गोंद का प्रयोग करके हवाई जहाज से लेकर मिठाई का बॉक्स बनाने लगभग नामुमकिन लगता है लेकिन इस कठिन कार्य को ओरिगामी की कार्यशाला में 37 सरकारी शिक्षकों ने कर दिखाया। ये अद्भुत कला तो जापान से शुरू हुई लेकिन देश में इस कला के अब बेहद लोग कद्रदान होने लगे हैं। मैथ्स के साथ अन्य विषयों को पढ़ाने में शिक्षकों को बेहद मदद मिलेगी।
अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के तत्वावधान में कोटद्वार में “ओरिगामी ” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में ये सब देखने को मिली। कार्यशाला में कोटद्वार में रहने वाले 37 सरकारी शिक्षकों ने प्रतिभाग किया 7 कार्यशाला में फाउंडेशन की तरफ से आये विषय विशेषज्ञ अमरदीप पौल और संचियता चटर्जी ने बेहतरीन तरीके से ओरिगामी यानी कागज की अद्भूत कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि इसकी शुरुआत जापान से हुई और यह रंग-बिरंगे कागजों को अलग-अलग ढंग से मोड़ कर उन पर अलग-अलग रूपों से कलाकृतियां बनाने का ढंग है। इसमें इस बात का ध्यान रखना होता है की कैंची तथा गोंद तक का इस्तेमाल नहीं होता है। इस दिलचस्प कार्य में शिक्षकों ने कागज के हवाई जहाज, कागज की किश्तियां, मिठाई के डिब्बे ,गिफ्ट बॉक्स, तितली ,क्रिकेट की टोपी,पेन स्टैंड आदि बनाया और साथ ही कुइलिंग विधा पर भी कार्य किया। जिसमें कागज के माध्यम से भी तरह-तरह के मॉडल बनाये गए और गोंद तथा कागज की बनी मोटी और बारीक रंग-बिरंगी पट्टियों का इस्तेमाल किया गया 7 फाउंडेशन के कोटद्वार प्रभारी संजय नौटियाल ने बताया की फाउंडेशन अवकाश के समय पर इस प्रकार की कार्यशालाओं को आयोजित करता ही रहता है जो की निशुल्क होती है और सरकारी शिक्षकों का अवकाश के दिनों पर इस प्रकार की रचनात्मक कार्यशालाओं में प्रतिभाग करना उनकी शैक्षिक कर्म के प्रति कटिबद्धता को दर्शाता है 7 उन्होंने बताया की ओरिगामी की सहायता से गणित के साथ अन्य विषयों को भी पढ़ाने में भी मदद मिलती हैं और बच्चों की फाइन मोटरस्किल और ज्योमेट्री की अवधारणाओं का भी विकास होता है 7 इस अवसर पर राजीव थपलियाल, मोहन सिंह गुसाईं, लक्ष्मी नैथानी , भावना कुकरेती, तरु छाया अग्रवाल, रश्मि उनियाल, पंकज शुक्ला, सुंदर लाल जोशी,ममता भंडारी,राजेश खत्री, कविता असवाल, आदि उपस्थित थे ।
